25% Tariff : आपने अक्सर देखा होगा — जब कोई व्यक्ति ज़्यादा ऊंची आवाज़ में बोलकर दबाव बनाने की कोशिश करता है, तो उससे निपटने का सबसे असरदार तरीका होता है शांत लेकिन सटीक जवाब देना। ज़रूरत पड़ने पर, अपनी ताकत का संतुलित प्रदर्शन भी ज़रूरी हो जाता है — ताकि सामने वाला अपनी हद समझ सके आजकल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ ऐसा ही माहौल बन रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से भारत को बार-बार धमकियां दे रहे हैं, वो एक तरह की राजनीतिक दबाव की रणनीति है। और हम भारतीय, अब तक प्रतिक्रिया देने की बजाय संयम और कूटनीति से काम लेने में लगे हैं।
30 जुलाई को क्या हुआ 25% Tariff
- डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रोडक्ट्स पर 25% टैक्स (tariff) लगा दिया।
- रूस से तेल खरीदने पर 500% जुर्माने की धमकी दी।
- ये सब 1 अगस्त से लागू हो चुका है।
- और ये सब उस वक्त हुआ जब अप्रैल 2025 से भारत और अमेरिका के बीच एक मेगा ट्रेड डील की बातचीत चल रही थी।
Trade Deal का मकसद क्या था?
- भारत-अमेरिका के बीच import-export पर टैक्स कम होना था।
- अमेरिका ने कहा — पाकिस्तान से दूरी रखो, डील मिलेगी।
- भारत ने बात मानी, लेकिन ट्रंप ने डील कैंसिल कर दी।
- उल्टा पाकिस्तान के आर्मी चीफ को व्हाइट हाउस डिनर पर बुला लिया।
India vs China Reaction 25% Tariff
- चीन – ट्रंप बोले, तुरंत action लेता है।
- भारत – सिर्फ react करता है। पॉलिसी बनती है, लेकिन execution ढीला होता है।
Trump के बयान: What Trump Said
- “India की economy dead है।”
- “BRICS currency में शामिल हुए तो 500% जुर्माना लगेगा।”
- “We don’t care about India’s deals with Russia.”
- “हमने Pakistan के साथ oil deal साइन कर ली है।”
America चाहता क्या है?
- भारत अमेरिकी agriculture और dairy products खरीदे।
- भारत अपने MSME products से टैक्स हटा दे।
➡️ लेकिन भारत इन प्रोडक्ट्स में self-reliant है।
➡️ अगर टैक्स हटे तो देसी MSMEs बर्बाद हो जाएंगे।
कौन से सेक्टर्स को लगेगा झटका?
- Textiles – KPR Mill, Arvind, Page Industries
- IT Companies – TCS, Infosys, Wipro, Tech Mahindra
- Pharma – भारत 40% दवाइयां अमेरिका को देता है
- Auto & Engineering – Tata Motors, ABB India
- Agro Products – KRBL, LT Foods
जानकारी: सिर्फ अमेरिका को एक्सपोर्ट से भारत को $90 बिलियन डॉलर मिलते हैं — जो हमारी GDP का 2.5% है।
बाजार की हालत: Indian Market
- FII (Foreign Investors) ने पैसे निकालने शुरू कर दिए।
- DII (Domestic Investors) ने बाज़ार को संभाला।
उदाहरण:
- जून में FII ने ₹7,000 करोड़ खरीदे, लेकिन
- जुलाई में उन्होंने ₹42,000 करोड़ बेच डाले।
अनारकली तुम्हें मरने नहीं देगी, और अकबर तुम्हें जीने नहीं देगा” — यही हाल है अभी भारतीय बाज़ार का।
BRICS देश एक नई करेंसी लाना चाहते हैं ताकि US Dollar की monopoly खत्म हो। ट्रंप ने भारत को धमकी दी: “BRICS में शामिल हुए तो 500% जुर्माना।”
भारत का रिएक्शन India’s Response
भारत ने कहा: MSMEs और किसानों के हित सर्वोपरि हैं। “National Interest First” भारत सरकार का साफ संदेश। डील रद्द होने पर सरकार ने निराशा जताई, लेकिन डगमगाई नहीं।
निष्कर्ष: What’s the Final Take?
ये सिर्फ एक ट्रेड वॉर नहीं — ये भारत की रणनीतिक परीक्षा है। चीन एक्शन लेता है, भारत क्यों नहीं? अब वक्त है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग, पॉलिसी और एक्शन में मजबूत बने। वरना हम हमेशा बस reaction देने वाले देश ही बने रहेंगे।